Book Exhibition
नेहरू महाविद्यालय में एक दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन
डोंगरगढ़। शासकीय नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोंगरगढ़ के प्राचार्य डॉ.के.एल.टाण्डेकर के दिशा निर्देशन एवं पुस्कालय विभाग के प्रमुख ग्रंथपाल नितेश तिरपुडे के मागदर्शन मंे ग्रंथालय विभाग द्वारा अकादमिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए 24 अगस्त को एक दिवसीय पुस्तक मेला का आयोजन ग्रंथालय परिसर में किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रदीप कुमार जाम्बुलकर, क्रीड़ा अधिकारी डॉ.एम.एल. नंदेश्वर की अध्यक्षता में सपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ ग्रंथालय के जनक व पदमश्री से सम्मानित डॉ. एस.आर. रंगनाथन के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। पुस्तक मेले में आमत्रित नगर के बुक स्टॉल के संचालक शिवराज बोरकर ने कालेज के छात्र-छात्राओं के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं एवं विषय से संबंधित उपयोगी पुस्तके, मैग्जिन, एवं पत्र-पत्रिकाओं का स्टाल लगाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. प्रदीप जाम्बुलकर द्वारा अपने उद्बोधन में ग्रंथालय के जनक व पदमश्री से सम्मानित डॉ. एस.आर. रंगनाथन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुस्तकालय एक सार्वजनिक संस्था है। जिसका कार्य पुस्तको का संग्रहण देखभाल एवं रखरखाव करना है तथा उनको पाठको को आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराना है। उक्त कार्य को संपन्न करने के लिए आवश्यक नियमो का पालन करना अनिवार्य है।
कार्यक्रम अध्यक्ष क्रीड़ा अधिकारी डॉ.एम.एल. नंदेश्वर ने कहा कि वैश्विक महामारी में सभी शिक्षण संस्थायें बंद थी। भौतिक रूप् से उपस्थित होकर किसी भी तरह के आयोजन में मनाही थी। इसी कारण से महाविद्यालय मेें कोई भी आयोजन नही हो पाया , इसी कारणो से विगत कुछ वर्षो से पुस्तक मेले का आयोजन महाविद्यालय में नही हो पाया । कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए उक्त आयोजन को संपन्न कराया गया। महाविद्यालय के ग्रंथपाल एन.के. तिरपुडे ने पुस्तक की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों एवं शिक्षको का उस ज्ञान के खजाने से परिचित करना है जो ग्रंथालय में उपलब्ध है। जो उनके भविष्य को संवारने में उत्प्रेरक का कार्य करता है। उनकी पोषण एवं प्रगति की दर में तेजी लाता है। पुस्तके अनमोल है वे हमारी सबसे अच्छी मित्र है क्योकि वे ज्ञान विज्ञान की भंडार है। व्यक्ति आते है और चले जाते है परन्तु उनके श्रेष्ठ विचार , ज्ञान संदेश संस्कृति मानवीय मूल्यो के रूप में जीवित रहते है जैसे - हमारे वेद, उपनिषद, रामायण , महाभारत और हमारा संविधान। महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर.आर.कोचे ने कहा कि आज युग इंटरनेट का युग हैै। उक्त समय में इंटरनेट का युग है उक्त समय में कोई भी जानकारी इंटरनेट पर उपलबध है किन्तु पुस्तको का अपना एक अलग महत्व है। डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर एवं गांधी जी भौतिक रूप से हमारे सामने नही है है परंतु उनके विचार पुस्तको के माध्यम से हमारे पास उपलब्ध है जो हमारा सतत मागदर्शन करते है।
उक्त पुस्तक मेले में महाविद्यालय के प्राध्यापक बी.आर.सिवारे सहित कर्मचारीगण संजय तिवारी, बी.एस.मंडावी, बी.आर.कोसले, के.जी. सोनकर, विवेक श्रीवास, सोहद्रा उइके, शरद लाटा, संदीप गजभिये, सुशील सोनवानी, मिनाक्षी बोपचे, शैलेन्द्र यादव, खेमनलाल धनेन्द्र, विनोद सहारे सहित छात्र-छात्राओं में डाकेश्वर वर्मा, विक्की रामटेके, रमन साहू, मोहनीश तुरकर सहित अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सभी ने उक्त पुस्तक मेले का लाभ उठाया एवं आयोजन की सराहना की।